चमड़े की एक छोटी से गेंद 
जिसमे रबर की एक थैली 
उसमे भरी पूरी हवा 
और लो बन गया फुटबाल 
मारी  ठोकर जूते से 
और फुटबाल हवा में 
लगता है चढ़े ही जा रही है , चढ़े ही जा रही है 
और उस के साथ हजारों  लाखों की निगाहें 
भी ऊपर जा रही है 
फिर आती है फुटबाल नीचे
और उसके साथ साथ लाखों निगाहें .
लोग ढूंढ रहे थे उसे ज़मीन पर 
लेकिन इस बीच उस पीली जर्सी वाले ने 
एक छलांग लगाई हवा में
और झेल लिया उसे अपने सर पर
कुछ इस अदा से कि वो घूम गयी
गोलकीपर की दिशा में
गोलकीपर उछला दायें
बाल गयी बाएं
और लो हो गया गोल
सारे स्टेडियम में खड़े हो गए लाखों लोग
आधे हवा में उछलते, चिल्लाते
बाकी आधे अपने सर पकड़ कर कोसते
पूरे साउथ अफ्रीका में यही माहोल बिखर गया
और बिखर  गया यही माहोल
ब्राजील में, मेक्सिको में, पुर्तगाल में , जर्मनी में
रूस में ,ग्रीस में, कोरिया में , भारत में
और सैंकड़ों देशों में 
जिन्हें हम जानते हैं सिर्फ फुटबाल के लिए
टेलीविजन का कीमती समय
पूरा लग गया समीक्षा में
रेडियो इंटरनेट अखबार
भर गए इस गोल की चर्चा में
सारा विश्व दफ्तर में , घर में, 
भोजन में ,यात्रा में
पूछ रहा जाने अनजाने लोगों से
विश्व कप में क्या हुआ आज?
है ना मजेदार बात
कितनी महत्वपूर्ण हो गयी
वो चमड़े की गेंद
या उसके अन्दर भरी हवा
या फिर वो करारी लात
या फिर वो सर पर झेला गया पतन
लेकिन शायद नहीं ,
ये सारी बातें जुडी थी
एक चुनौती से
अपने देश के स्वाभिमान से
उद्देश्य कैसा भी हो
कितना महत्वपूर्ण हो जाता है
जब बात जुडी हो स्वदेश से    
 
 
बहुत सुंदर कविता
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