Mahendra Arya

Mahendra Arya
The Poet

रविवार, 25 मई 2014

मोदी है बस मोदी है।



रात अँधेरी भागी अब
भोर नयी इक जागी  अब
सूरज कितना तेज हुआ
सब हैरत अंगेज हुआ !

जो दिखते थे बड़े बड़े
ढेर हुए सब खड़े खड़े
ऐसी आंधी आई इक
खड़ा कोई न रहा तनिक !

वंशवाद के वंशज सब
कब्ज़ा कर के संसद तब
रहते थे निखरे निखरे
आज धरातल पर बिखरे।

जाति वाद के पोषक भी
जनता के थे शोषक भी
धता बताया जनता ने
दूर भगाया जनता ने।

बीज घृणा का बो बो कर
नकली आंसू रो रो कर
मजहब का नारा भी सब 
काम न आया उनके अब।

कदम कदम पर  शुचितायी
नगर नगर में सच्चाई
बात बात थी दर्पण सी
जन जन को थी अर्पण सी।

जीवन में सच्चाई थी
चिंतन में गहराई थी
मिटटी से निकला था वो
तप तप कर पिघला था वो।

दुष्प्रचार से घिरा हुआ
झूठ तंत्र से भिड़ा हुआ
सच से खुद को जोड़ दिया
उत्तर भी मुँहतोड़ दिया।

आज देश का नेता है
सबका बड़ा चहेता  है
भारत माँ की गोदी है
लाल नरेंदर मोदी है।

अच्छे दिन आने वाले
उनको है लाने वाले
गदगद आँखें रो दी है
मोदी है बस मोदी है।