वर्षा की एक बूँद
जल का छोटा सा कण
नन्हा अस्तित्व पर
कितनी बड़ी प्रेरणा
खेत में किसान जब
डालता है बीजों को
खून और पसीने सी
तन मन की चीजों को
मन में एक प्रार्थना
उसके गूंजती रहती
ईश्वर! दे वृष्टि अब
ईश्वर! दे बूँद अब
गर्मी की प्यास से
तन मन निढाल हो 
तन जब निर्जीव सा 
सुस्त मंद चाल हो 
वर्षा की एक बूँद 
होठों पे गिरती है 
निर्जीव तन मन में 
नया प्राण भरती है
गर्म गर्म पत्थर  पर
बूँद जब उतरती है
गर्म तप्त स्पर्श से 
अणु सी बिखरती है 
पत्थर की आग में 
ऐसे झुलसती है 
स्वयं को समाप्त कर 
शीतलता भरती है 
बूँद कितनी सुन्दर है 
बूँद खूबसूरत है 
बूँद सिर्फ जल नहीं 
माणिक की मूरत है 
सूरज की किरणे जब 
बूंदों पर पड़ती है 
आकाश कैनवास 
रंग कितने भरती है 
सीपी के मुख में जब 
बूँद एक गिरती है 
चमत्कार होता है 
बूँद बने मोती है 
काम ऐसे कर चलें 
फिर चाहे मार चलें 
बूँद जैसे अश्रु सारी 
आँखों में भर चलें 
बूँद सी ही जिंदगी 
हम सब को चाहिए 
ना हो विराट भले 
अर्थपूर्ण चाहिए
 
 
बूँद सी ही जिंदगी
जवाब देंहटाएंहम सब को चाहिए
ना हो विराट भले
अर्थपूर्ण चाहिए एक सुंदर रचना , बधाई