Mahendra Arya

Mahendra Arya
The Poet

गुरुवार, 2 सितंबर 2010

परिभाषाएं - तीन नन्ही कवितायेँ

बोर

मैंने यूँही पूछ लिया
क्या हाल चाल है
और वो
विस्तार से बताने लगा
कितना बोर है वो

स्मार्ट

एक खाली टैक्सी  वाले  से
एक मूर्खतापूर्ण प्रश्न पूछा मैंने
टैक्सी खाली है ?
उसने मेरी बात का फायदा उठा लिया
बोला - नहीं है
और स्पीड बढ़ा कर भाग निकला
स्मार्ट  था

इंटेलिजेंट


टी टी साहब
एक बर्थ मिलेगी ?
नहीं, कोई खाली नहीं है
सर , जाना बहुत जरूरी है
गांधीजी की कसम
उसने मुझे देखा
बोला- ठीक है चढ़ जाइये,
देखते हैं
इंटेलिजेंट था

5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूब ! एक मेरी तरफ से भी :

    फुर्सत -
    वक़्त की वक़्त,
    कम्बखत!
    'मजाल' करे क्या?
    दुविधा!
    पास कलम की सुविधा,
    आती सोचने की विधा,
    चलो करें कविता!

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  2. aapaki yahi to khubi hai kabhi kabhi halki fulki kavitao se gudgudatn hain to kabhi aesi gahan gambhir baat kah jate hai ki log sochane par majbur ho jate hain - badhai ho

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  3. तीसरी "इंटेलिजेंट" शीर्षक वाली बड़ी सटीक लगी. लोग आसानी से इस्तेमाल भी कर सकेंगे. हलकी और अच्छी लगी.

    शशि मिमानी

    जवाब देंहटाएं
  4. Dear Shashi,

    These were written on your suggestion to write something halki fulki at times.

    Thanks for suggestion and comments.

    Mahendra

    जवाब देंहटाएं
  5. प्रिय महेंद्र!
    तुम्हारी तीन छोटी कविताओं को देखते ही मैं भांप गया था की यह सौगात मेरे लिए है आर मैं खुश भी हुआ.
    इसी लिए तुम्हारी सबसे अच्छी कविता पर मैंने टिप्पणी भी की. प्रथम प्रयास के रूप में प्रयास सराहनीय ही कहलायेगा.
    भविष्य में उत्तरोत्तर और भी रचनाएँ पढने की आशा रखता हूँ.

    शशि मिमानी

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