Mahendra Arya

Mahendra Arya
The Poet

सोमवार, 26 नवंबर 2018

पागल कुत्ते






कुछ मौत के व्यापारी

खरीदने आये थे मौत

समुद्र की राह से



खरीदनी थी मौत ,

तबाही ,हाहाकार

चीत्कार, आहें



कीमत भी थी मौत

खुद अपनी

पागल कुत्तों जैसी



दरअसल

वो आदमी नहीं थे

वो थे हथियार



एक ऐसे जूनून के

जो बांटता है

सिर्फ नफरत



नफरत

कभी मजहब के नाम पर

कभी मुल्क के नाम पर



वो अब भी नहीं रुके

तैयार कर रहें और हथियार

और मौत के सौदागर



ये कह कर की

पहले वाले अपनी शहादत का

इनाम पा रहे हैं - जन्नत में

शनिवार, 15 सितंबर 2018

मैं और माँ






सब कहते हैं की मैं साठ साल का हो गया ,

लेकिन ये पूरी तरह सच नहीं है

क्यों चौंक  गए ?



साठ साल से आप मुझे देख रहें हैं

ये सच है

लेकिन मेरा अस्तित्व सिर्फ साठ साल से  नहीं है



मेरी उम्र है पौने इकसठ साल !

ये जो पौना साल है ना ,

इसके बारे में सिर्फ मेरी माँ जानती है



उस पौना साल में बस हम दो ही थे

मैं और माँ !

माँ मुझे महसूस करती और मैं माँ को



मैं तो बहुत नन्हा था

कभी लात भी चला देता

लेकिन माँ ने तब भी प्यार ही दिया



और दिए जीवन के संस्कार

माँ जो सुनती थी , वो मैं भी सुनता था

सुनता था घर में वेद मन्त्रों की गूँज



दादाजी के भजनों की मिठास

पिताजी के संघर्ष की बातें

दादीजी की मेरे बारे में चिंताएं



कभी कभी अकेले में

माँ मुझ से बतियाती थी

कभी लोरी सुनाती थी



आज पहली बार बता रहा हूँ आपसे

मेरा  वो शुरुवाती जीवन

जिसमे मैं था और माँ थी -



और था ढेर सारा प्यार मेरे लिए

और ढेर सारा कष्ट उनके लिए 

फिर भी हम दोनों ही खुश थे


गुरुवार, 5 जुलाई 2018

स्पर्श


क्या स्पर्श बिन अभिव्यक्ति संभव है ?
पूर्ण अभिव्यक्ति असंभव है !

नवजात शिशु को माँ हाथों में लेती है
सीने से लगाती है
उस पर चुम्बनों की बरसात कर देती है
क्या इन स्पर्शों  के बिना
वात्सल्य अभिव्यक्त हो पाता ?

परीक्षा में अव्वल दर्जे में उत्तीर्ण होने के बाद
जब एक बेटा अपने पिता के चरण स्पर्श करता है
और पिता उसकी पीठ थपथपाता है
उसे सीने से लगा लेता है
क्या इन सभी स्पर्शों के बिना
पुत्र की श्रद्धा और पिता का गर्व अभिव्यक्त हो पाता ?

ससुराल से लौटी विवाहित बेटी
अपनी माँ से गले मिलती है
बहन को चूम लेती है
भाई के गाल थपथपाती है
तभी तो उसे पीहर आने का अहसास होता है !

प्रेमी प्रेमिका तो बिना शब्दों के
जैसे स्पर्श की भाषा में ही बात करते हैं !

पति पत्नी का जीवन और प्रेम
और उनकी रचनाएँ - उनकी संतति
बिना स्पर्श असंभव है !

स्पर्श जितना सुख देता है
अवांछित स्पर्श उतना ही दुःख देता है।
वांछित स्पर्श जैसे भावनाओं की अभिव्यक्ति है
अवांछित स्पर्श सिर्फ वासनाओं की अभिव्यक्ति है।