ओस की बूंदे कभी गीला नहीं करती
सूर्य की किरणे कभी पीला नहीं करती
आसमां के रंग से सागर लगे नीला
नील बदली जल कभी नीला नहीं करती
चांदनी का रंग चाँदी से नहीं बनता
और चांदी रूप चमकीला नहीं करती
स्वर्ण के बिन भी चमकते लोग चेहरे से
स्वर्ण की आभा ही दमकीला नहीं करती
wah wah wah wah
जवाब देंहटाएंवाह वाह बहुत ही गहरे और खूबसूरत भाव मन खुश हो गया ये कविता पढकर .
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी और शानदार पोस्ट....
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