जो चाहो वो हो ना पाता. ना चाहो वो होता -जीवन 
मन की इच्छाओं को भूल  जा, हर दिन  इक समझौता - जीवन 
कभी मेघ को देख गगन में मन मयूर खिल खिल जाता है
लेकिन फिर तूफानी अंधड़, बस्ती कई डुबोता - जीवन
कभी ह्रदय की कोमल बातें बन कर कविता बहना चाहे 
तभी सामने कोई पहुँच कर अपनी पीड़ा  रोता - जीवन 
कभी किसी छुट्टी के दिन बस, मन कहता विश्राम करेंगे 
तभी पडोसी की बुढिया माँ, मर जाती , ये होता -जीवन 
अपने मन की करनी हो तो , मन में अपना कुछ मत सोचो 
जो होता है हो जाने दो ,ये उपाय इकलौता - जीवन
 
 
waah sirji bahut khoob...
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