घर इंटों की ईमारत का नाम नहीं
घर जमीन की तिजारत का नाम नहीं
घर नहीं है एक चमचमाता म्यूजियम
घर नहीं है सोने के लिए एक वेटिंग रूम
घर नहीं है टेलीफोन पर रूम सर्विस
घर नहीं है -
मतलबी मुस्कान और बचे हुए पैसों की टिप्स
ईंट पत्थर के निर्माण को घर नहीं कहते
ऐसा होता तो मकबरों में भी लोग रहते
घर एक सजीव रचना है
जिसमे प्राण होते हैं
जिसका दिल धडकता है
जिसमे भावनाएं होती हैं
जिसमे कामनाएं होती हैं
जिसमे अपने होते हैं
जिसमे सपने होते हैं
पर्व और त्योहारों पर हँसता है घर
दुःख और विपत्ति में उदास होता है
हमारे ग़म में ग़मगीन होता है घर
हमारे सुख में शरीक होता है
घर की नींव में होता है विश्वास का पत्थर
घर की दीवारें सहयोग की इंटों से बनती हैं
जिन पर त्याग और सच्चाई का रंग रोगन होता है
जिन पर सुरक्षा की छत टिकी होती है
घर एक रसोई है ,
जिसमे परिश्रम का चूल्हा जलता है
घर एक मंदिर है
जिसमे श्रद्धा का दीपक जलता है
घर के दरवाजे
प्रतीक्षा की लकड़ी से बने होते हैं
घर की चौखट में
स्वागत के फूल खिलें होते हैं
थके हारे दिन के लिए चाय का प्याला है घर
स्कूल से भूखे लौटे बच्चों के लिए निवाला है घर
तनाव से भरे सर पर अँगुलियों का अहसास है
और तपती दोपहरी में ठन्डे पानी का गिलास है
प्यार है घर , ममता है घर
समर्पण है घर , समता है घर
करुणा है घर , संतोष है घर
आस्था है घर, श्रद्धा है घर
विश्वास है घर , एहसास है घर
उत्साह है घर ,आभास है घर
मुस्कान है घर , सन्मान है घर
अभिमान नहीं , स्वाभिमान है घर
waah bahut sundar abhivyakti...
जवाब देंहटाएंसही और रोचक
जवाब देंहटाएंbahut baDhiyaa!!
जवाब देंहटाएंघर एक सजीव रचना है
जवाब देंहटाएंजिसमे प्राण होते हैं
जिसका दिल धडकता है
जिसमे भावनाएं होती हैं
जिसमे कामनाएं होती हैं
जिसमे अपने होते हैं
जिसमे सपने होते हैं
कितना सुन्दर लिखा है..... वाह वाह.
नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपका बलोग पढकर अच्चा लगा । आपके चिट्ठों को इंडलि में शामिल करने से अन्य कयी चिट्ठाकारों के सम्पर्क में आने की सम्भावना ज़्यादा हैं । एक बार इंडलि देखने से आपको भी यकीन हो जायेगा ।
सुन्दर और सार्थक कविता है.
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा रचना...बेहतरीन!
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