दर्द की कविता मत लिखो
कोई लेने वाला नहीं है
कागजों में मत ढूंढो दवा
कोई देने वाला नहीं है
देंगे सब झूठी तसल्ली
और झूठी आह भी
शेर अच्छा ना लगा तो
देंगे झूठी वाह भी
फायदा क्या शब्द को
कलम बना कर
आंसुओं की दवात में
गहरा डुबा कर
चंद रोते ओ बिलखते
शेर लिख कर
बेचारा, मासूम,
परेशान दिख कर
लोग तो पढ़ते हैं
टाइम पास को
है कहाँ टाइम
कि दें उदास को
लिखना ही है
तो लिखो कुछ और तुम
कुछ रूमानी,
आसमानी छोर तुम
या तो जो
दिल को जरा सहला सके
या किसी को
जो समझ ना आ सके
बहुत रोचक और सुन्दर अंदाज में लिखी गई रचना .....आभार
जवाब देंहटाएंवाह क्या सच्छायी लिखी है...रचना पढ़ के ये प्रन करने का दिल कर रहा हें की अब के बाद उदासी भरा नहीं लिखेंगे...मगर...किन्तु..परन्तु...ये प्रन निभाना जरा मुश्किल है.
जवाब देंहटाएंअनामिकाजी ! उदासी भी जीवन का एक खास रूप है . लिखते रहिये .
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