जिंदगी का दर्द से रिश्ता अजीब है
आँखों से आंसुओं की तरह बस करीब है
वो चाहते ही क्या जो अधूरी ना रह गयी
जिसको मिला है सब वही सबसे गरीब है
जो खुरदरी जमीं को ना महसूस कर सका
उसका नरम बिछोना ही उसका सलीब है
कैसे सुखी हैं लोग जिन्हें कोई ग़म नहीं
जिनको मिलें हैं दर्द ,बड़े खुशनसीब हैं
बहुत से गहरे एहसास लिए है आपकी रचना ...
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