हर पल
कोई भी पल
कभी मरता नहीं
बीत जाता है
ख़त्म नहीं होता
वास्तव में
हर पल वहीँ रहता है
जहाँ वो था
हम ही आगे बढ़ जाते हैं
हम ही बीत जाते हैं
हम ही ख़त्म होते रहते हैं
हर दिन
हर पल
कभी पीछे मुड़ के देखो
तो नजर आयेंगे
वो तमाम पल
जिन्हें हम समझते थे
कि ख़त्म हो गए हैं
वे पल छिपे होते हैं
कहीं ना कहीं
कुछ धुंधले ख्वाबों में
कुछ स्कूल की किताबों में
कुछ पुराने कपड़ों में
कुछ आकाश को तकती छत में
कुछ तुड़े मुड़े पुराने ख़त में
कुछ पुराने बिना तार वाले गिटार में
कुछ कमरों के बीच खुलने वाले किवाड़ में
ये पल बड़े विचित्र हैं
आँखे मूँद कर देखो
हर पल एक चित्र है
दिल के परदे पर देख
पूरा जीवन एक चलचित्र है
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