Mahendra Arya

Mahendra Arya
The Poet

सोमवार, 19 अप्रैल 2010

आज कल

वक़्त पे जो काम आ गया वो मित्र है,
वर्ना एल्बम में लगा बस एक चित्र है ।

पाप है जो दूसरों को कष्ट दे रहा
दे सके जो मुस्कुराहटें पवित्र है ।

छल कपट के बाग़ में दुर्गन्ध है भरी
मेहनतों के खेत का पसीना इत्र है ।

झूठ, पाप, छल कपट तो आम बात है
आजकल ईमान धर्म ही विचित्र है ।

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