Mahendra Arya

Mahendra Arya
The Poet

बुधवार, 21 अप्रैल 2010

हे मानव

हे मानव ! हे मानव ! तू ईश्वर की स्तुति कर

जब दूर तलक दुःख के बादल छाए हों
घनघोर अँधेरे जीवन में आये हों
तब दोनों हाथ जोड़ कर के
तू ईश्वर की स्तुति कर

जब भी अभाव की चिंताएं घेरे हों
पापों की तरफ कदम बढ़ते तेरे हों
तब दोनों आँख मूँद कर के
तू ईश्वर की स्तुति कर

जब मन के दोषों से चाहो छुटकारा
मन में छेड़ो प्रभु चिंतन का इकतारा
फिर मन में खुशियाँ भर कर के
तू ईश्वर की स्तुति कर

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