Mahendra Arya

Mahendra Arya
The Poet

शुक्रवार, 9 अप्रैल 2010

कुछ ढूंढता हूँ

गैर बेगानों में हमनशीन ढूँढता हूँ
मैं अपने पावों के लिए जमीन ढूंढता हूँ

दिमाग का हर काम तो मशीन कर रही
दिल का भी करे काम वो मशीन ढूंढता हूँ

हर शख्स दगाबाज है किस पे करें यकीन
हर शख्स में जरा सा यकीन ढूंढता हूँ

मतलब परस्त दौर में बदसूरती भरी
इंसानियत का चेहरा इक हसीं ढूंढता हूँ

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