Mahendra Arya

Mahendra Arya
The Poet

शनिवार, 21 अगस्त 2010

संपूर्ण समर्पण

अनुभूति तुम , अनुभूत मैं
अविभाव तुम, अविभूत मैं


अनुराग तुम , अनुरक्त मैं
आशक्ति तुम, आशक्त मैं


दुर्लब्ध  तुम, उपलब्ध मैं
हो शब्द तुम, निःशब्द मैं


अभिव्यक्ति तुम , अभिव्यक्त मैं
हो भक्ति तुम , हूँ भक्त मैं

1 टिप्पणी:

  1. महेंद्र जी बहुत ही सुन्दर शब्दों का गठजोड़ किया है इतनी सुन्दर भावना और इतना बेजोड़ शब्दविन्यास बधाई हो

    जवाब देंहटाएं