Mahendra Arya

Mahendra Arya
The Poet

मंगलवार, 10 अगस्त 2010

अतीत - एक शाश्वत सत्य

घडी रुक जाती है
समय नहीं रुकता
भागता रहता है निरंतर
क्षण भर को नहीं मध्यांतर

कितनी तेजी से बदलता है
भविष्य वर्तमान में
वर्तमान अतीत में

भविष्य! एक भ्रम है
जो अज्ञात है वो भ्रम है
वर्तमान एक प्रक्रिया है
एक नए अतीत के निर्माण की
जो बीत रहा है
जो व्यतीत हो रहा है
हाँ, वही तो अतीत हो रहा है

अतीत एक शाश्वत सत्य
जो स्थाई है
जो अपरिवर्तनीय है

अतीत-
समय कि शिलाओं पर
घटनाओं के लेख
घटनाएँ जो बन जाती है हिस्सा
हमारे जीवन का
एक एक दृश्य
जो अंकित हो जाते हैं
हमारे स्मृति पटल पर
हमारा अतीत बन जाता है
एक प्यारा सा एल्बम
जिसे हम पलटते  रहते हैं
अपने एकाकी समय में
मृत्यु पर्यंत 

4 टिप्‍पणियां:

  1. महेंद्र जी बहुत ही सार्थक कविता , ----सही कहते है भविष्य अज्ञात है भ्रम है लेकिन हम जीते तो इसी भ्रम में हैं हर आने वाला पल इक सपना होता है और जो गुजर गया वही पल हमारा होता है की आने वाला पल इक सपना है , हर गुजरा हुआ पल ही अपना है , हम गुजरे पल में रहते हैं यादों के सब जुगनू जंगल में रहते हैं

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  2. aap mere blog tak aaye aapaka shukriyaa or aapane apane vichaar vyakt kiye is ke liye main aapaki aabhaari hun

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  3. महेंद्र जी बहुत ही सार्थक कविता

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