मैंने यहाँ खुला रख छोड़ा है , अपने मन का दरवाजा! जो कुछ मन में होता है , सब लिख डालता हूँ शब्दों में , जो बन जाती है कविता! मुझे जानना हो तो पढ़िए मेरी कवितायेँ !
Mahendra Arya
The Poet
सोमवार, 25 जुलाई 2022
गुलदस्ता अंक ३
गुलदस्ता अंक ३
दोस्तों आपका हार्दिक धन्यवाद ! आपने पहले के दोनो गुलदस्तों मे सजी मेरी कविताओं को पसंद किया; आपके भरपूर प्रेम को समर्पित मेरा ये तीसरा गुलदस्ता! प्रतिक्रिया की प्रतिक्षा रहेगी!
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