मैंने यहाँ खुला रख छोड़ा है , अपने मन का दरवाजा! जो कुछ मन में होता है , सब लिख डालता हूँ शब्दों में , जो बन जाती है कविता! मुझे जानना हो तो पढ़िए मेरी कवितायेँ !
Mahendra Arya
The Poet
शनिवार, 16 जुलाई 2022
गुलदस्ता अंक -२
दोस्तों ! प्रस्तुत है मेरी कविताओं का एक और गुलदस्ता ! आशा है ये भी आपको पसंद आएगा ! प्रतिक्रिया जरूर देवें !
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