मैंने यहाँ खुला रख छोड़ा है , अपने मन का दरवाजा! जो कुछ मन में होता है , सब लिख डालता हूँ शब्दों में , जो बन जाती है कविता! मुझे जानना हो तो पढ़िए मेरी कवितायेँ !
कुछ कह सको तो कहो, वरना हम चेहरे पे भी पढ़ लेंगे
जरा सा वक़्त चाहिए, ख्वाहिश और कुछ नहीं
दे सको तो दो, वरना अकेले ही आगे बढ़ लेंगे
थोड़ी सी मुस्कुराहट और थोड़ा प्रेम चाहिए
असली हो तो दो, वरना तस्वीर हम ही मढ़ लेंगे
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