Mahendra Arya

Mahendra Arya
The Poet

बुधवार, 27 जुलाई 2011

स्मृति : वो २६ जुलाई की बरसात

वो कैसी बरसात
थी कैसी बरसात
जीवन देने वाली
गिरी थी बन के गाज

निकले थे लोग
घर से सुबह
दिन भर के
जीवन के लिए
लौटे नहीं
रातों को भी
आशंकाएं
मन में लिए

काली थी कैसी रात
वो कैसी बरसात

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