मैंने यहाँ खुला रख छोड़ा है , अपने मन का दरवाजा! जो कुछ मन में होता है , सब लिख डालता हूँ शब्दों में , जो बन जाती है कविता! मुझे जानना हो तो पढ़िए मेरी कवितायेँ !
Mahendra Arya
The Poet
बुधवार, 27 जुलाई 2011
स्मृति : वो २६ जुलाई की बरसात
वो कैसी बरसात थी कैसी बरसात जीवन देने वाली गिरी थी बन के गाज
निकले थे लोग घर से सुबह दिन भर के जीवन के लिए लौटे नहीं रातों को भी आशंकाएं मन में लिए
खूबसूरत कविता...
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