Mahendra Arya

Mahendra Arya
The Poet

शनिवार, 23 जुलाई 2011

इस हमाम में हर कोई नंगा है

किसको करें फरियाद हाल बेढंगा है
इस हमाम में हर कोई नंगा है

सरकार भ्रष्टाचार का है नाम अब
तौलिया बन गया आज तिरंगा है

मर रहे साधू आमरण अनशन से
हो रही मैली आज भी गंगा है

कुछ राज खुल गए , और भी बाकी है
खोल कर देखो जहाँ भी पंगा है

अन्दर से मरता देश अपना पल पल है
बाहर से देखो तो बड़ा ही चंगा है

2 टिप्‍पणियां:

  1. कुछ राज खुल गए , और भी बाकी है
    खोल कर देखो जहाँ भी पंगा है ...
    bahut badhiya gazal...ye panktiyaan sabse prabhavshali

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  2. बहुत ही सुन्‍दर शब्‍दों....बेहतरीन भाव....खूबसूरत कविता...

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