Mahendra Arya

Mahendra Arya
The Poet

मंगलवार, 16 अगस्त 2011

सरकार को ग्रहण लग गया है

कल पंद्रह अगस्त था - देश की स्वतंत्रता का दिन
आज सोलह अगस्त है - स्वतंत्रता की हत्या का दिन
अंग्रेजों के राज में मुंह पर ताला था
पूरे देश पर पड़ा ग़ुलामी का जाला था
सरकार के खिलाफ बोलना राज द्रोह था
बहुत बड़ा अपराध आजादी का मोह था
लाखों ने संघर्ष किया
हजारों ने क़ुरबानी दी
इस आजादी की खातिर
युवकों ने अपनी जवानी दी

गोरे चले गए , काले आ गए
बस जैसे की घोटाले आ गए
सरकार में भर गए चोर सब
भ्रष्टाचार का आया दौर अब
जहाँ कुरेदो वहां दुर्गन्ध है
बेईमानी का झंडा बुलंद है
हर जगह अनाचार है
प्रधानमंत्री लाचार है

भ्रष्टाचार का विरोध करे जो - दुश्मन है
चाहे अन्ना ,अरविन्द, किरण या शांतिभूषण है
रामदेव को तो खदेड़ दिया था रात में
अन्ना को तो दबोचा खुली प्रभात में
सरकार अब पगला गयी है
नीतियों को झुठला गयी है
देश सारा जग गया है
इस सरकार को ग्रहण लग गया है

2 टिप्‍पणियां:

  1. प्रिय बंधुवर महेन्द्र आर्य जी
    सादर वंदे मातरम् !

    आपकी भावनाएं और रचनाएं दोनों ही श्रेष्ठ हैं ।

    प्रस्तुत रचना के लिए भी आभार !
    ऐसी सरकार को बदलना अत्यावश्यक हो गया है …

    आपके लिए एक-दो लिंक दे रहा हूं , समय मिलने पर देखिएगा …


    मेरी ग़लती का नतीज़ा ये मेरी सरकार है

    ऐ दिल्ली वाली सरकार ! सौ धिक्कार !!


    ♥ हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !♥
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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