Mahendra Arya

Mahendra Arya
The Poet

शनिवार, 16 जुलाई 2011

कल हो या न हो













एक और धमाका
एक और हादसा
दर्जनों लाशें
सैंकड़ों घायल
थोड़ी चीखें
थोड़ी आह
थोडा कोहराम
थोडा आक्रोश
थोडा भय
थोडा आवेश
मीडिया के कैमरे
लोगों का उचक उचक कर दिखना
नेताओं द्वारा निंदा
विदेशों द्वारा भत्सर्ना
सरकार का आश्वासन
विरोध पक्ष का आक्रमण
झवेरी बाजार में छितराए मानव अंग
ओपरा हाउस में फैला खून
अगले दिन की बरसात में सब धुल गया
सारा आक्रोश घुल गया
घटना इतिहास बन गयी
लोग अपने अपने काम में लग गए
मीडिया ने कहा
मुंबई शहर की स्पीरिट जिन्दा है
एक मुर्दा शहर की जिन्दा स्पीरिट
अभी जिन्दा है
ये कह कर थपथपा लो अपनी पीठ
और इंतजार करो अगले धमाके का
जियो जिंदगी मौज से , न जाने
कल हो या न हो

3 टिप्‍पणियां:

  1. अस्वस्थता के कारण करीब 25 दिनों से ब्लॉगजगत से दूर था
    आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत धन्यवाद संजय भाई ! ईश्वर आपको स्वस्थ रखे !

    जवाब देंहटाएं