लेना देना नहीं किसी का , फिर भी कहते लोग
औरों के जीवन के मसले , चुप ना रहते लोग
मेरा जीवन मेरा अपना क्या खाया क्या पहना
मैं खुश हूँ मैं जैसा भी हूँ , क्यों नाखुश हैं लोग
मैं बीमार पड़ा तो नुस्खे मेरे पास बहुत है
हर कोई अपना दे जाता , देने आते लोग
मेरे घर में कलह हुई तो मैंने उसे संभाला
फिर भी कलह बढ़ाने आते समझदार कुछ लोग
खूब कहा शायर ने प्यारे कुछ तो लोग कहेंगे
क्योंकि उनका काम है कहना , कहते रहते लोग
सच है ...लोंग केवल बातें बनाने में माहिर होते हैं ....अच्छी गज़ल
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