मैंने यहाँ खुला रख छोड़ा है , अपने मन का दरवाजा! जो कुछ मन में होता है , सब लिख डालता हूँ शब्दों में , जो बन जाती है कविता! मुझे जानना हो तो पढ़िए मेरी कवितायेँ !
Mahendra Arya
The Poet
बुधवार, 26 मई 2010
जिन्दगी छोटी सी
कर चुके झगडा बहुत, मत रोइए
जिन्दगी छोटी सी है , मत खोइए
बात करने को समय मिलता नहीं
मौन रह कर वक़्त को मत खोइए
हो गया बस ,कह लिया कुछ सह लिया
पोंछ कर आंसू , ये चेहरा धोइए
फेर कर मुंह कर चुके अभिनय बहुत
अब जरा कंधे पे सर रख सोइए
mujhe ghazal achhi lagi ...
जवाब देंहटाएंफेर कर मुंह कर चुके अभिनय बहुत
जवाब देंहटाएंअब जरा कंधे पे सर रख सोइए
खूबसूरत....
The poem is sweet and nice.
जवाब देंहटाएंShashi