Mahendra Arya

Mahendra Arya
The Poet

रविवार, 13 फ़रवरी 2011

प्रभु पास तुम्हारे चल कर आयेंगे

जब मंजिल कहीं नजर नहीं आती हो
राहों की मुश्किल तुम्हे रुलाती हो
जब नभ पर अँधियारा बढ़ आया हो
और तेज हवा से अंधड़ आया हो
तब हाथों को ले जोड़ ' प्रभो ' कहना
और नैनो को कर मूँद 'प्रभो' कहना
प्रभु पास तुम्हारे चल कर आयेंगे
दोनों हाथों से तुम्हे उठाएंगे !
 
जब मन में कोई उलझन हो भारी
जब उथल पुथल लगती दुनिया सारी
जब सारे रस्ते बंद नजर आते
जब प्रश्नों  के उत्तर नहीं मिल पाते
तब मन में करना ध्यान और कहना
'प्रभु मदद करो, अब चुप मत रहना'
मन के दरवाजे से प्रभु आयेंगे
और सारे प्रश्नों को सुलझाएंगे
 
जब सारे अपने बेगाने लगते
जाने पहचाने अनजाने लगते
जब लोगों पर विश्वास ख़त्म होता
अपनों के हाथों घोर  जख्म होता
तब उसको अपना मान, शांत होना
उसके चरणों में बैठ दर्द रोना 
सर सहलाने को तब प्रभि आयेंगे
आंसू पोछेंगे तुम्हे मनाएंगे

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