हाई कोर्ट ने भी सुना दिया फैसला 
कसाब को दी जाये फांसी
लेकिन ये नहीं सुनाया कि कब 
अखबार बताते हैं 
कि शायद २०१८ तक !
बहुत निराश हैं वो लोग 
जिन्होंने खोया किसी अपने को 
मुंबई में उस रात 
२६ नवम्बर २००८ को !
यानि कि कसाब जिन्दा रहेगा दस साल तक 
ऐसे खुले आम खूनी खेल के बाद .
मेरी दरख्वास्त  है
देश के उच्चतम न्यायालय  से
हमें मंजूर है 
यह दस साल कि रियायत 
लेकिन एक सुधार कर देवें फैसले में  
कसाब को ले जाया जाए 
उन तमाम लोगों के घर 
जिन्होंने खोया था उस रात 
अपना बेटा- बेटी ,पति- पत्नी माँ -बाप या  भाई बहन, 
उन्हें निकाल लेने दो अपने मन की
सिर्फ एक बार 
इस जीवित कसाब पर
और उसके बाद 
उसे बंद रखा जाए 
एक ऐसी कोठरी में 
जहाँ इन दस सालों में 
उसे किसी इंसान के दर्शन न हों 
और उस कोठरी की दीवारों पर 
निरंतर चलती रहे एक फिल्म 
उन तीन दिनों के खूनी खेल की 
जो आज भी हम टी वी पर देखतें हैं 
और नेपथ्य से आती रहें 
वो तमाम आवाजें 
जो उन तीन दिनों में 
आ रही थी - उन मासूम लोगों के ह्रदय से 
चीख , रुदन , प्रार्थना , श्राप , आह , कराह 
और इन दस सालों में 
उसे खाने को दिया जाए 
लावारिस इंसानी लाश 
पीने को दिया जाए 
लाल खून !
तब जाकर न्याय होगा 
उन सभी बदकिस्मत मरने वालों के साथ 
उनके परिवारों के साथ 
मुंबई के साथ 
पूरे हिंदुस्तान के साथ 
इंसानियत के साथ 
 
 
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