क्यों लोग गर्मियों में जाते पहाड़ पर
शहरों से दूर रहने ऊंचे पहाड़ पर
सड़कों की चिल्ल पों से जब फट रहे हों कान
खामोशियों की खोज में जाते पहाड़ पर
आबोहवा शहर की जब जहर घोलती
अमृत को ढूंढने सब जाते पहाड़ पर
हर वक़्त दौड़ता तन पैसे की दौड़ में
फिर वक़्त अपना ढूंढने जाते पहाड़ पर
रिश्तों के मायने जब खो जाते शहर में
रिश्तों को फिर से जीने जाते पहाड़ पर
पहाड़ों में आया हुआ हूं, कुछ जाने अनजाने मायने मेरी यात्रा के इस कविता में मिले। अति सुंदर कविता।
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