मैं ढूंढता उसे था , हर सू इधर उधर
लेकिन मुझे मिला ना , ढूँढा था दर बदर
तीरथ भी सारे घूमे , मंदिर भी सारे देखे
पर वो मुझे दिखा ना , गायब था इस कदर
काबा में जाके ढूँढा , मस्जिद भी खूब देखी
आजान देके देखी , वो था नहीं उधर
गुरु ग्रन्थ पढ़ के देखा , गुरु द्वार मत्था टेका
सारी चमक दमक थी , पर वो न था उधर
गिरजे भी जाके आया , पर उसको मिल न पाया
लौकिक परंपरा थी , पर वो न था उधर
थक हार के जो मैंने , आँखों को थोडा मूंदा
आवाज एक आई , मुझे ढूंढता किधर
रहता हूँ तेरे घर पर , बैठा हूँ तेरे दर पर
मिलता हूँ तेरे अन्दर , तू भटकता दर बदर
दुखियों के दर्द में मैं , चेहरों की जर्द में मैं
उनकी मदद में मैं हूँ , जरा देख तो उधर
बूढों की लाठियों में , बच्चों की वादियों में
उनका सहारा हूँ मैं , जो दुखी हैं किस कदर
मस्जिद ओ गुरूद्वारे , मंदिर ओ चर्च सारे
निर्माण हैं तुम्हारे , मैं क्यों रहूँ उधर
बाइबिल कुरआन गीता , गुरुग्रंथ हो किसी का
सब छापते तुम्ही हो , मैं क्यों पढूं मगर
तेरी आत्मा के अन्दर , है गूंजता मेरा स्वर
तू सुने या ना सुने तू , मैं बोलता मगर
मैं मार्ग मात्र देता , आदेश नहीं देता
तु स्वतंत्र है करम में , तू चाहे वैसा कर
हैं पाप पुण्य तेरे , सब हाथ में ही तेरे
पर फल नहीं है पगले , वश में तेरे मगर
लेकिन मुझे मिला ना , ढूँढा था दर बदर
तीरथ भी सारे घूमे , मंदिर भी सारे देखे
पर वो मुझे दिखा ना , गायब था इस कदर
काबा में जाके ढूँढा , मस्जिद भी खूब देखी
आजान देके देखी , वो था नहीं उधर
गुरु ग्रन्थ पढ़ के देखा , गुरु द्वार मत्था टेका
सारी चमक दमक थी , पर वो न था उधर
गिरजे भी जाके आया , पर उसको मिल न पाया
लौकिक परंपरा थी , पर वो न था उधर
थक हार के जो मैंने , आँखों को थोडा मूंदा
आवाज एक आई , मुझे ढूंढता किधर
रहता हूँ तेरे घर पर , बैठा हूँ तेरे दर पर
मिलता हूँ तेरे अन्दर , तू भटकता दर बदर
दुखियों के दर्द में मैं , चेहरों की जर्द में मैं
उनकी मदद में मैं हूँ , जरा देख तो उधर
बूढों की लाठियों में , बच्चों की वादियों में
उनका सहारा हूँ मैं , जो दुखी हैं किस कदर
मस्जिद ओ गुरूद्वारे , मंदिर ओ चर्च सारे
निर्माण हैं तुम्हारे , मैं क्यों रहूँ उधर
बाइबिल कुरआन गीता , गुरुग्रंथ हो किसी का
सब छापते तुम्ही हो , मैं क्यों पढूं मगर
तेरी आत्मा के अन्दर , है गूंजता मेरा स्वर
तू सुने या ना सुने तू , मैं बोलता मगर
मैं मार्ग मात्र देता , आदेश नहीं देता
तु स्वतंत्र है करम में , तू चाहे वैसा कर
हैं पाप पुण्य तेरे , सब हाथ में ही तेरे
पर फल नहीं है पगले , वश में तेरे मगर