जब देश के कोने कोने में, आवाज क्रांति की आती है
मन का आक्रोश जताने को , जनता सड़कों पर आती है
जब युवक मशालें लेकर के, सब इन्कलाब चिल्लाते हैं
जब भ्रष्टाचार मिटाने को, मरने की कसमें खातें हैं
जब देश की आजादी घुट घुट, मैदानों में जा रोती है
क्या गूंगी बहरी सी बैठी , सरकारें ऐसी होती है ?
जब सीधा साधा बूढा इक, अनशन के लिए उतरता है
उसकी हर सांस की आहट में, जब भारत जीता मरता है
जो भ्रष्टाचार मिटाने को , प्राणों की बाजी रखता है
जब बच्चा बच्चा आशा से , उसके चेहरे को तकता है
सत्ता की ताकत में पागल , जो बेसुध होकर सोती है
क्या इतनी भी भटकी अंधी, सरकारें ऐसी होती हैं ?
जब मंत्री करते मौज यहाँ , जो लूट देश को खातें हैं
जब अफसर करते घोटाले , और फिर भी वो बच जाते हैं
जब आँखों पर पट्टी बांधे , प्रधान मंत्री सहता है
"जादू की छड़ी नहीं है" , जब ये लालकिले से कहता है
फिर सत्ता ऐसे लोगों की , काहे को बनी बपौती है
क्या दीन हीन लाचार बनी , सरकारें ऐसी होती है ?
yes , India ki sarkar hamesha aise hi hoti hai-besharam,baimaan ,chori ke paise pe itrati,bal khati,muskurati aur ab anna ki takat se jara ghabrati
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