विश्व के इतिहास में
ये दौर क्रांतियों का है
ये दौर जागृति का है
ये दौर भ्रांतियों का है
सदियों से कुचले लोगों में
जब शक्ति कोई आ जाती है
जब सहने की ताकत
लोगों में रह न पाती है
तब कोई मसीहा बन कर के
उदघोष कहीं यह करता है
अब बहुत हो चुकी मनमानी
वह जब लोगों से कहता है
जब सच्चे लोगों की बातें
सच्चे हृदयों से आती है
वो जनता के मन के अन्दर
आवेश क्रांति का लाती है
फिर उस जादूगर के पीछे
यूँ सारा देश उमड़ता है
नभ में वर्षा के पहले ज्यों
मेघों का झुण्ड घुमड़ता है
जब अपने प्राणों की बाजी
रख कर जनता मिल जाती है
कितनी भी जिद्दीपन में हों
तब सरकारें हिल जाती है
जब कोई निस्वारथ नायक
जब अन्ना जैसा नेता हो
इस देश के बच्चे बच्चे का
तो क्यूँ न बने चहेता वो
हम आज देश के वासी सब
मिल कर इक ऐसा काम करें
इस सहस्त्राब्दी के गांधी तुम
मिलकर तुमको प्रणाम करें
सुंदर भावाभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंA very meaningful poetry with lot of depth.
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