Mahendra Arya

Mahendra Arya
The Poet

बुधवार, 30 मार्च 2011

आधा जीवन

काल समूचा दिवस रात्रि में बंट जाता है
सोचो आधा जीवन सोने में जाता है !

आधा जीवन गुजरा बचपन और बुढ़ापा
कर्म के लिए चौथाई जीवन आता है !

आधा जीवन आधे मन से अगर जिया तो
आधे का आधा जीवन ही रह जाता है !

जीवन में यदि मित्र बना पाए न कोई
मीत बिना जीवन फिर आधा हो जाता है !

दुनिया रखे - याद किया न कुछ भी ऐसा
क्या पूरा क्या आधा - बस आता जाता है !

मंगलवार, 22 मार्च 2011

कमेंट्री - गल्ली क्रिकेट की

चंदू हलवाई एंड से गेंदबाजी करने को तैयार लल्लू
लच्छू नाई के सलून एंड पर बैटिंग को तैयार बिल्लू


फील्डिंग की जमावट भी जोरदार
विकेट के पीछे हैं जस्सी फौजदार


सिली पॉइंट पर है शीलू
मिड ऑफ़ पर हैं नीलू


थर्ड मैन की तरफ पप्पू
सेकेण्ड स्लिप पर गप्पू


दीपू , गुल्लू , चम्पू और दिवाकर
खड़े हैं सब सीमा रेखा पर


लल्लू ने हाथ घुमाया और गेंद डाली
बिल्लू ने बल्ला घुमाया और गेंद उछाली


अम्पायर नथू चिल्लाया - छक्का
बिल्लू रह गया हक्का बक्का


सामने आ रही थी चंद्रमुखी आंटी
गुस्से में कस कर बैट्समन को डांटी


कल लाये थी पानी की नयी मटकी
बाल मार कर तुमने है पटकी


तभी आंटी की नजर पड़ी विकेट पर
अब की मारा गया विकेट कीपर


" ओये मैं सोचूं घर की चप्पले कहाँ गयी,
सारी की सारी यहाँ फंसा दई

इन डंडों के बीच में
मुस्टंडों के बीच में "


खेल में पूरा पड़ गया पंगा
एक हाथ में चप्पल एक हाथ में डंडा


बच्चे हो गए तितर बितर
आंटी घुस गयी घर के भीतर



रविवार, 20 मार्च 2011

जापान की विभीषिका

जागते पहर पहर
रात है कहर कहर
क्यूं न नजर आ रही
एक नयी सहर सहर

सुख बने सपन सभी
दुःख भरे नयन सभी
जिंदगी न जाने क्यूं
है गयी ठहर ठहर

कंठ नीले पड़ गए
होंठ जैसे जड़ गए
अमृतों की चाह में
पी रहे जहर जहर

उड़ गयी चमक दमक
सिन्धु में भरा नमक
दुःख और दर्द की
उठ रही लहर लहर

मंगलवार, 15 मार्च 2011

इन्द्रधनुष जिंदगी


रंग से सजी दुनिया , इन्द्रधनुष जिंदगी
चित्रकार ईश्वर है , कैनवास जिंदगी

खुशियों का रंग लाल ,जैसे उडती गुलाल
जैसे खिलता गुलाब , मेहँदी रचती है लाल
जीवन की खुशियों से है मीठास जिंदगी

कुदरत का रंग हरा , ताजगी से है ये भरा
वर्षा में हरियाली , ढक लेती है ये धरा
सब्ज रंग खुशबु है , और सुवास जिंदगी

रंग सबसे चमकीला , सोने का रंग पीला
सूरज का , अग्नि का, तेज कितना दमकीला
तेज चेहरे पर हो तो प्रकाश जिंदगी

क्षितिजों के अन्दर है , ये नीला अम्बर है
कितनी गहराई है , नीलिमा समंदर है
मन जिसका छोर नहीं वो आकाश जिंदगी

है सुफेद रंग सदा , शीतल और शांत है
चन्द्र, दुग्ध , हिम जैसे , चांदनी निशांत है
स्निग्ध संगमरमर सी संगतराश जिंदगी

रंग एक गहरा है , रात जिसका चेहरा है
जिंदगी के रंगों पर , काल का ही पहरा है
काली अमावस के पास पास जिंदगी

शनिवार, 12 मार्च 2011

जापान

जापान
टापुओं का एक समूह
थोड़ी सी ज़मीन
थोड़ी सी आबादी
लेकिन ढेर सारा दिमाग
ढेर सारी मेहनत
और इसलिए ढेर सारी समृद्धि

जापान
एक अद्वितीय उदहारण
तबाही से उबरने का
हिरोशिमा और नागासाकी
की आणविक बमबारी
जिसने समाप्त कर दिया था
जापान को
लेकिन जापान उठ खड़ा हुआ
एक योद्धा की तरह अपने पुनर्निर्माण में

जापान
एक बार फिर घिर गया है
तबाही की चपेट में
भूकंप से रोज खेलने वाला जापान
इस बार फंस गया
महा विध्वंसकारी भूकंप में
अभूतपूर्व जलजला !
और उस पर चढ़ आया
वो मृत्यु का सैलाब
सुनामी !
विध्वंस जारी है
आंकड़ों से तेज भाग रही है मौत
प्रत्यक्ष दर्शी है विश्व

शास्त्रों  में सुना है
प्रलय होती है
शायद ऐसी ही होती है
एक चेतावनी है ईश्वर की
संपूर्ण मानवता को 
कि अपनी सीमायें मत लाँघो

जापान 
फिर एक बार जुट जाओ 
पुनर्निर्माण में 
शक्तिशाली ही सह सकता है ऐसा घाव 
ईश्वर भी ये जानता है