चंदू हलवाई एंड से गेंदबाजी करने को तैयार लल्लू 
लच्छू नाई के सलून एंड पर बैटिंग को तैयार बिल्लू 
फील्डिंग की जमावट भी जोरदार 
विकेट के पीछे हैं जस्सी फौजदार 
सिली पॉइंट पर है शीलू 
मिड ऑफ़ पर हैं नीलू 
थर्ड मैन की तरफ पप्पू 
सेकेण्ड स्लिप पर गप्पू 
दीपू , गुल्लू , चम्पू और दिवाकर 
खड़े हैं सब सीमा रेखा पर 
लल्लू ने हाथ घुमाया और गेंद डाली 
बिल्लू ने बल्ला घुमाया और गेंद उछाली
अम्पायर नथू चिल्लाया - छक्का 
बिल्लू रह गया हक्का बक्का 
सामने आ रही थी चंद्रमुखी आंटी 
गुस्से में कस कर बैट्समन को डांटी
कल लाये थी पानी की नयी मटकी 
बाल मार कर तुमने है पटकी 
तभी आंटी की नजर पड़ी विकेट पर 
अब की मारा गया विकेट कीपर 
" ओये मैं सोचूं घर की चप्पले कहाँ गयी,
सारी की सारी यहाँ फंसा दई
इन डंडों के बीच में
मुस्टंडों के बीच में "
खेल में पूरा पड़ गया पंगा 
एक हाथ में चप्पल एक हाथ में डंडा 
बच्चे हो गए तितर बितर 
आंटी घुस गयी घर के भीतर

 
 
क्रिकेट के दीवानगी को बखूबी दिखा रही है कविता... खास तौर पर जब विश्व कप का जूनून देश पर छाया हुआ हो...
जवाब देंहटाएं