Mahendra Arya

Mahendra Arya
The Poet

शनिवार, 23 अक्तूबर 2010

परिपक्व प्यार

जीवन का प्रवाह कुछ ऐसा मोड़ लेता है
आने वाले सभी परिवर्तनों से खुद को जोड़ लेता है
मुझे ही देखो न -
मैं अपने आप को आईने में देख जुल्फें संवारता था
घंटों खुद का व्यक्तित्व निहारता था

और अब -
आइना तो वही है जुल्फें घट गयी
थोड़ी काली थोड़ी सुफेद दो रंगों में बाँट गयी
कोशिश करता हूँ कि सब काले रंग में रंग जाये
इसके पहले की सारी सुफेद रंग में रंग जाये
और वो -
सुबह उठ के मुझे प्यार से उठाने की जगह
जोर से पूछती है - सैर के लिए उठो
और मैं कोई बहाना सोचूँ उसके पहले
अगला आदेश - चलो, उठो, खड़े हो जाओ

और फिर -
ये कहने कि जगह - आज दफ्तर न जाओ तो ?
वो ये कहती है - दफ्तर नहीं जाना क्या ?
मैं जब कहता - डार्लिंग , एक प्याला चाय मिलेगी
संबोधन से खुश होकर चाय पेश करने की जगह
चाय से ज्यादा गरम हो जाती है -
बहुत हो गयी चाय , चलो नहाओ .
और लंच पर -
उनका फोन अब भी आता है
लेकिन ये पूछने की  जगह कि खाना कैसा लगा
ये बताने के लिए
कि दवा की पुडिया छोटी डिबिया में रखी है
खाने के बाद याद कर के ले लेना

और शाम को -
जब घर पहुँचता हूँ ,
वो ये नहीं कहती की चलो कहीं घूमने चलें
बल्कि ये कहती है -
बहुत थक गए होगे ,थोडा आराम कर लो ,
मैं तुम्हारे लिए चाय बना कर लाती हूँ

डिनर पर -
ये कहने की जगह की चलो एक ही थाली में खाते हैं
कहती है , तुम खाओ , मैं गरम फुल्के बनाती हूँ

और बिस्तर पर -
मैं मेरी थकान के साथ सोने की कोशिश करता हूँ
वो बिना किसी शिकायत के
मेरे बालों में अंगुलियाँ फिराती है

सोचता हूँ - क्या बदल गया ?
क्या वो प्यार नहीं रहा
क्या वो गर्मजोशी ख़त्म हो गयी
लेकिन मेरा चिंतन मुझे बताता है -
यह ही असली प्यार है
मुझे जल्दी उठा  कर सैर पर भेजना
ज्यादा चाय न पीने देना
दिनचर्या में नियमितता रखवाना
समय पर दवा याद दिलाना
मेरी थकान के सामने खुद की भूल जाना
गरम फुल्के अपने हाथों से बना कर खिलाना
नींद के लिए मुझे वो प्यार भरा स्पर्श देना
यही तो है परिपक्व प्यार
जो जीवन की सांझ में
अकेलेपन को भगाता है

वो मुझे तब से भी बहुत अधिक प्यार करती है

5 टिप्‍पणियां:

  1. kitne pyare dhand se aapne apni baat kahi......sach me sir......yahi paripakwa pyar hai......!!

    hame aapne apna FAN bana diya!!

    dil ko chhoo gayee......sach me yahi to pyar hai........jo hame bhi milta hai...:)

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  2. मुकेश भाई , कविता तो हमारे जीवन को ही जीती है. आपका मेरा और अन्य सबका अनुभव तो यही है न ? बहुत धन्यवाद - आपकी उन्मुक्त भाव से कही गयी मीठी सी प्रतिक्रिया का .

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  3. यही जीवन का प्रवाह है.....
    बहुत बढ़िया रचा...

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  4. वो मुझे तब से भी बहुत अधिक प्यार करती है -----आपकी कविता पढ़ी , वाह क्या खूब ! आपकी कविता पढ़ कर उन पतियों की शिकायत दूर हो जाएगी जो उम्र के इस मोड़ पर प्यार को खोजते हैं और शिकायते करते हैं की वो पहले वाला प्यार कहाँ गया ? आपके दर्शन से कुछ लोगों का भला हो जायेगा
    लेकिन हकीकत मैं बताऊँ ? महेंद्र जी प्यार जब अपने चरम पर होता है तो लोग उसकी कदर नहीं करते और जब वो हाथों से रेत की तरह फिसल जाता है तो उसे नए नए नाम देकर खुद को छलते हैं और लोगो को बताते हैं की "देखों मेरे पास प्यार आज भी है जबकि वो तो खुशबु की तरह कब का उड़ चूका होता है वो कब कहाँ ठहरा है वो तो मुसाफिर है पता नहीं कौन गली गया हम उसके नाम से पूरी उम्र खुद को छलते रहते हैं
    जो काम किये जा रहे है चाय देना दवा देना वो कर्तव्य पालन भी हो सकता है जरुरी नहीं उसमे प्यार हो ही इक बार फिर से आखों में झाकं कर देख लेना फिर कोई राय देना नहीं तो ऐसा कीजिये भरम बना रहने दीजिये वो शेर है ना ""परखना मत , परखने से कोई अपना नहीं रहता --" इक बात और हो सकती है की मैं तेरी मस्त निगाहों का भरम रख लूँगा , होश आया भी तो कह दुगां मुझे होश नहीं --तो कभी कभी होश आने पर भी अनजान बने रहने में मजा है और बुराई भी क्या है वो वाकई अब भी आपको बहुत अधिक प्यार करती होगी लेकिन इक बार पूछ लेना ----------

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  5. ममताजी ,
    आपकी बेबाक टिपण्णी का स्वागत है ! बात अनुभव की है . उम्र के उस दहलीज पर हर चीज के माने बादल जाते हैं. लोग तरस जाते हैं उन बातों के लिए जिन्हें मैंने प्यार कहा है. प्यार की कोई चरम स्थिति नहीं होती . चरम स्थिति हो सकती है रोमांस की , लेकिन सिर्फ वो ही प्यार नहीं होता . नब्बे साल के दम्पति के बीच जो होता है उसे आप क्या कहेंगे ? या फिर उस प्यार की अभिव्यक्ति क्या होगी ?
    जीवन के प्रति थोडा नजरिया पोजिटिव कीजिये . मेरी एक कविता की दो पंक्तियाँ -
    जिंदगी के ग़म भुला कर देखिये , दर्द को साथी बना कर देखिये !
    जिंदगी बदरंग उतनी है नहीं , धूप का चश्मा हटा कर देखिये !
    आपका पुनः धन्यवाद मेरे द्वार तक आने के लिए
    महेंद्र

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