Mahendra Arya

Mahendra Arya
The Poet

मंगलवार, 20 अप्रैल 2021

कोरोना-कहर-२

 



 

इक दौर वो भी गुजर गया ,

इक दौर ये भी जायेगा

न वो टिक सका , न वो रुक सका

अब ये भी न टिक पायेगा !

 

तब हम भी कुछ नादान थे

कुछ ये भी था  अनजाना  सा

अब हम भी हैं कुछ होशियार

कुछ ये भी है पहचाना सा !

 

जीवन बड़ा अनमोल है

इसको जतन से संभालिये

जीवन रहा तो करेंगे सब

बाहर कदम न निकालिये !

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