शहर लग रहें हैं शमशान की तरह
मास्क
आ गयी है मुस्कान की जगह
शहर लग
रहें हैं शमशान की तरह
व्यापार
ठप्प सारा दुकान बंद है
घर से
ही काम चल रहा दुकान की तरह
जब रूह
कांपती थी , एक मौत को सुन कर
फेहरिस्त
आ रही अब फरमान की तरह
नजदीकियां
बुरी है , ये बात
चल रही
अब
दूरियां बनी है , अरमान की तरह
ये
सिलसिला चलेगा , कब तक
पता नहीं
आबादियां
रहेंगी सुनसान की तरह !
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