मैंने यहाँ खुला रख छोड़ा है , अपने मन का दरवाजा! जो कुछ मन में होता है , सब लिख डालता हूँ शब्दों में , जो बन जाती है कविता! मुझे जानना हो तो पढ़िए मेरी कवितायेँ !
Mahendra Arya
The Poet
मंगलवार, 1 नवंबर 2016
Ishopanishad | Kya Moh Karun By Mahendra Arya | Paritosh Saha | Devotion...
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