रिश्ते वो हैं जो
जन्म के कारण बनते हैं
दोस्ती वो जो
जीवन के कारण बनती है
सरे राह चलते कोई
मिल गया
दो चार बाते हुयी
कुछ मैंने कही
उसने सुनी
कुछ उसने कही
मैंने सुनी
और अनजाने ही एक
दोस्ती शुरू हो गयी !
मैं हिन्दू था ,
वो मुसलमान निकला
पूर्वाग्रह था -
मुसलमान अच्छे नहीं होते
फिर भी वो अच्छा
लगा
शायद उसके भी मन
में ऐसा था कुछ
फिर भी मैं उसे
अच्छा लगा
उसे भी फ़िल्में ,
उपन्यास और कविताएँ पसंद
थी
और मुझे भी
हमने साथ साथ न
जाने कितनी फ़िल्में देखी
कितना संगीत सुना
कितने उपन्यास
आपस में बदले
दोस्ती और गहरी
होती गयी
उसने ईद पर मुझे
बुलाया
मैं झिझका ;
हमारा खाना पीना जो अलग
था
उसे मेरी झिझक का
पता था
उसने मेरे लिए
अलग बर्तन मंगाये
शुद्ध शाकाहारी
भोजन खिलाया
मुझे अपनी झिझक
पे झिझक आयी
हम दोनों साथ साथ
होटलों में खाते हैं
तब क्योँ नहीं ये
झिझक आड़े आती
हवाई जहाज में
कौन नए बर्तन में खाना बनाता होगा
इस सोच से दोस्ती
और मजबूत हो गयी
दिवाली पर मैंने
उसे बुलाया
वो नए कपडे पहन
कर आया
माँ ने बड़े प्यार
से उसका भी थाल सजाया
उसे हमारी दिवाली
पसंद आयी
दोस्ती और मजबूत
हो गयी
इस दोस्ती को
इकतालीस साल बीत गए
सालों साल मिलना
नहीं होता
लेकिन दिलों में
दोस्ती अभी भी ताजा है
क्योंकि दोस्ती
वो रिश्ता है
जो सभी रिश्तों
का राजा है !
Ise sunkar apne bachpan ki yaad aa gyi .Nice poem
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