मैं किस मुंह से आज़ादी तेरी बात करूँ 
मैं कैसे मानूँ देश मेरा आज़ाद है अब !
गोरे  अंग्रेजों से तो हम आज़ाद हुए 
काले अंग्रेजों से भी तो  बर्बाद हैं अब !
जिस मज़हब वाले मुद्दे पर था देश बंटा 
वो ही मज़हब वाला झगड़ा फिर शुरू हुआ 
संसद  पर हमले करने वाला अफ़ज़ल वो 
क्योंकर इक हिस्से का वो जाने गुरु हुआ ?
मुम्बई का करने को  विनाश जो आया था 
कुत्ता था , खुद को टाइगर वो कहता है  
उसके भी चाहने वाले हैं इस भारत में 
जो  पकिस्तान में छिप चूहे सा रहता है !
गौरक्षा की है बात उठाना जुर्म यहाँ 
गौहत्या अब इस देश में बहुत जरूरी है 
भारत माँ  को माता कहने पर कष्ट यहाँ
इस देश को अपना कहना भी मजबूरी है !
आतंकवाद घुस कर बैठा हर कोने में 
जैसे शोणित में मिले हुए कीटाणु से 
कैंसर बन कर इस देश की जड़ को काट रहे 
कब फूट पड़े बन कर बम वो परमाणु से !
खुद को आज़ादी के मालिक कहने वाले 
क़दमों में पड़े हुये हैं देखो इटली के 
जब चूस चुके हैं देश की सत्ता का  सब रस 
अब भी हैं देखो चाट रहें हैं  गुठली वे
इस देश में नहीं सुरक्षित देखो नारी अब 
डर डर  कर रहती
बहुसंख्यक जो आबादी 
मैं चाहूँ भी तो कैसे झंडा फहराऊं 
मैं कैसे तुम्हे मनाऊं मेरी आज़ादी !

 
 
nice one
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