Mahendra Arya

Mahendra Arya
The Poet

बुधवार, 29 मई 2013

क्यों बोलते हैं लोग ?

क्यों बोलते हैं  लोग ?
लोगों को अपनी मष्तिष्क तुला पर क्यों तौलते हैं लोग ?
क्यों बोलते हैं लोग ?

देश में एक बलात्कार हुआ
एक बहन के प्राण गए
पूरे देश में चीत्कार हुआ

मुद्दा बना - महिलाओं की सुरक्षा
पुलिस की लापरवाही
सर्कार की अकर्मण्यता
और जनता का रूखापन

ऐसे में देश का हर छोटा बड़ा आदमी
कुछ न कुछ बोलने लगा
बेवजह अपना मुंह खोलने लगा
छोटे आदमी की तो कौन सुनता है
मिडिया - लेकिन हर बड़े आदमी को चुनता है
स्टूडियो में खिंचाई के लिए
अपने कहे की सफाई के लिए
गलत व्याख्या हुई - इस दुहाई के लिए
बिना आंसुओं वाली रुलाई के लिए

कौन जानता था महामहिम प्रणव मुखर्जी  के सपूत को
ख्वामख्वाह दिए गए सन्देश के दूत को
कह दिया महिलाएं प्रदर्शन कम
और 'प्रदर्शन' अधिक कर रही है
बस इतना कहना था की
आ गए जूनियर मुखर्जी साहब प्रकाश में
टी वी के अंतहीन आकाश  में
माफ़ी मांगे तो मरे , न मांगे तो मरे
बेचारे राष्ट्रपति जी इसमें करे तो क्या करे


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