बस ख्वामख्वाह
जिंदगी जिए जा रहे , बस ख्वामख्वाह
सांस भी लिए जा रहे , बस ख्वामख्वाह
खा लिए , फिर सो लिए, फिर उठ लिए मगर
खाने की फ़िक्र ही में रहे , बस ख्वामख्वाह
हर रोज बुढ़ापा हमारे आता है नजदीक
जीने को वक़्त खोज रहे , बस ख्वामख्वाह
रिश्ते बने , कुछ टूट गए , छूट गए कुछ
रिश्तों के लिए मर रहें हैं , बस ख्वामख्वाह
पैसे थे कम , थोड़े थे ग़म , फिर खूब कमाए
पैसे भी और ग़म भी हमने , बस ख्वामख्वाह