क्या अजीब है जिंदगी ?
हम क्या चाहते हैं हम खुद नहीं जानते 
हमारी इच्छाएँ 
हमारी कामनाएं सीमाहीन होती है 
हम स्वस्थ रहने की कामना करते हैं 
भगवान्  से प्रार्थना करते हैं !
लेकिन परिस्थितियां बदल देती है हमारी सोच ,
हम ऐसी कामना करने लगते हैं 
जो शायद किसी दुश्मन के लिए भी न करें 
देखो न , 
पिछले दिनों मेरे प्रियतम व्यक्ति को कष्ट हुआ 
डॉक्टर ने जांचा और कहा 
बायोप्सी की रपट की प्रतीक्षा करो 
मैंने जिज्ञासा की -
क्या सम्भावना है ?
उसने कहा - दो !
तकदीर अच्छी है तो टीबी  ; और बुरी है तो कैंसर  !
और हमारी प्रार्थना बदल गयी -
हे भगवन - टीबी ही देना !
भगवान ने सुनी !
और अब !
फिर एक दोराहा 
डॉक्टर कहता है कल एंजियोग्राफी करेगा 
सम्भावना हैं दो -
बीमारी कम निकली तो स्टेंट लगेगा 
ज्यादा निकली तो फिर ह्रदय का बाई पास !
हस्पताल के बिस्तर पर बैठा सोच रहा हूँ -
क्या प्रार्थना करूँ !
फिर सोचा की मेरे लिए सभी तो प्रार्थना कर रहें हैं 
की कोई बीमारी ही न निकले 
मैं क्यों किसी भी बीमारी की प्रार्थना करूँ !
हे भगवान , 
तुम्हे मेरे कर्म फल के रूप में जो 
सही लगे 
वैसा ही फल देना। 
बस मन शांत हो गया 
मोहे चिन्ता क्या नैया की 
जब पतवार खिवैया की !
January 5, 2020 
Room No. 711, Breach Candy Hospital, Mumbai
 
 
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