सब कहते हैं की
मैं साठ साल का हो गया ,
लेकिन ये पूरी
तरह सच नहीं है 
क्यों चौंक  गए ?
साठ साल से आप
मुझे देख रहें हैं 
ये सच है 
लेकिन मेरा
अस्तित्व सिर्फ साठ साल से  नहीं है 
मेरी उम्र है
पौने इकसठ साल !
ये जो पौना साल
है ना ,
इसके बारे में
सिर्फ मेरी माँ जानती है 
उस पौना साल में
बस हम दो ही थे 
मैं और माँ !
माँ मुझे महसूस
करती और मैं माँ को 
मैं तो बहुत
नन्हा था 
कभी लात भी चला
देता 
लेकिन माँ ने तब
भी प्यार ही दिया 
और दिए जीवन के
संस्कार 
माँ जो सुनती थी ,
वो मैं भी सुनता था 
सुनता था घर में
वेद मन्त्रों की गूँज 
दादाजी के भजनों
की मिठास 
पिताजी के संघर्ष
की बातें 
दादीजी की मेरे
बारे में चिंताएं 
कभी कभी अकेले
में 
माँ मुझ से
बतियाती थी 
कभी लोरी सुनाती
थी 
आज पहली बार बता
रहा हूँ आपसे 
मेरा  वो शुरुवाती जीवन 
जिसमे मैं था और
माँ थी -
और था ढेर सारा
प्यार मेरे लिए 
और ढेर सारा कष्ट
उनके लिए  
फिर भी हम दोनों
ही खुश थे 

 
 
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