Mahendra Arya

Mahendra Arya
The Poet

रविवार, 31 दिसंबर 2017

शुभकामनायें

आखिरी दिन २०१७ का ,
बीत गए बारह महीने
जो शुरू हुए थे आशाओं के साथ
हर दिन ही तो होता है शुरू -
नयी आशाओं के साथ
हर शाम देती है फैसले दिन भर की बातों पर
हर दिन होता है एक मिश्रण दुःख और सुख का
हर दिन होता है आशाओं और निराशाओं का
कभी खुशियां मना  लेते हैं
कभी दुखों को झेल लेते हैं

ऐसे ही बीतते हैं बारह महीने
जैसे हर दिन
महीने क्यों हर वर्ष भी !
वर्ष ही क्यों पूरा जीवन ही तो !
जीवन का हर क्षण सम्पूर्ण होता है
शुभकामनायें नए वर्ष के लिए
हर महीने के लिए
हर दिन के लिए
शुभकामनायें आने वाले हर क्षण के लिए

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