Mahendra Arya

Mahendra Arya
The Poet

शुक्रवार, 1 जनवरी 2016

Happy New Year !


हर साल आता है एक नया साल
अतीत और भविष्य के बीच
एक अर्ध विराम सी ३१ दिसंबर की रात्रि !

मनःस्थिति ऐसी होती है -
जो बीता वो सामान्य सा था
जो आएगा वो विशेष होगा।

जो बीत गया वो अनुभूत है
जो आएगा वो कल्पना
 बस यही अंतर है।

हम उस यथार्थ को भूलना चाहते है
जो हमने जिया
पीछा छुड़ाना चाहते हैं उससे।

लेकिन जीना चाहते है सपनों में
भरना चाहते हैं कल्पना की उड़ान
एक अंतहीन यात्रा का लक्ष्य ढूंढते हैं अगले साल में।

लो नया साल शुरू हो गया
१ जनवरी की गुलाबी ठण्ड वाली सुबह
वही चाय का प्याला , वही अख़बार।

बस अख़बार की तारीख नयी है
कल २०१५ थी , आज २०१६ है
आइये खुश हो जाते हैं !


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