आइये चर्चा करेँ बिहार की
किस की जीत की
किस की हार की !
कुछ लोग प्यार करते हैं
अपनी बदनसीबी से
अपनी बदहाली से
अपनी गरीबी से
उस प्यार की ये जीत
लेकिन हार बिहार की !
जाति के चुम्बक से
खींची आती जातियां
मुठ्ठियाँ भिंच जाती
फूल जाती छातियाँ
संकीर्णता की जीत
हार मुक्त विचार की !
इतिहास सामने था
पिछले छह दशक का
अपने ही देश में रहे
पिछड़े की कसक का
इतिहास की ही जीत
हार जीर्णोद्धार की !
देकर जमानतें जो
जो छूट आये जेल से
प्रतिबन्ध जिसपे था
की दूर रहे खेल से
अपराधियों की जीत
हार कर्णधार की !
लड़ते थे देके गालियां
प्यासे थे खून के
मिल कर हैं बैठे
वोट के प्यासे जूनून के
मौका-परस्तियों की जीत
हार तेज धार की !
है देश खा रहा तरस
तुझ पर यूँ ऐ बिहार
तूने चुनी है अपनी
बदनसीबी बार बार
टूटी हुयी नौका की जीत
हार पतवार की !
किस की जीत की
किस की हार की !
कुछ लोग प्यार करते हैं
अपनी बदनसीबी से
अपनी बदहाली से
अपनी गरीबी से
उस प्यार की ये जीत
लेकिन हार बिहार की !
जाति के चुम्बक से
खींची आती जातियां
मुठ्ठियाँ भिंच जाती
फूल जाती छातियाँ
संकीर्णता की जीत
हार मुक्त विचार की !
इतिहास सामने था
पिछले छह दशक का
अपने ही देश में रहे
पिछड़े की कसक का
इतिहास की ही जीत
हार जीर्णोद्धार की !
देकर जमानतें जो
जो छूट आये जेल से
प्रतिबन्ध जिसपे था
की दूर रहे खेल से
अपराधियों की जीत
हार कर्णधार की !
लड़ते थे देके गालियां
प्यासे थे खून के
मिल कर हैं बैठे
वोट के प्यासे जूनून के
मौका-परस्तियों की जीत
हार तेज धार की !
है देश खा रहा तरस
तुझ पर यूँ ऐ बिहार
तूने चुनी है अपनी
बदनसीबी बार बार
टूटी हुयी नौका की जीत
हार पतवार की !
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