[ आज मेरी बड़ी बहन सविता ने साठ साल पूरे किये। मुझसे बस एक साल बड़ी हैं। मैंने उन्हें ये कविता भेंट की अपनी आवाज में। मेरी बहुत सारी शुभकामनायें उनको। ]
हे सविता !
तुम हुयी साठ की
मैं उनसठ का
इस पर क्या
हो कविता !
हे सविता !
लगती सब बातें
कल की सी
जो बीत गयी
हैं पल की
सी
तुम पढ़ने में
पागल रहती
तुम पर बलिहारी
पिता !
हे सविता !
हम भाई
मस्ती करते थे
कभी लड़ते कुश्ती
करते थे
तुम एक घुड़की
देती हमको
माँ को दूँगी
सब बता !
हे सविता !
तुम छोटी थी
जब आठ साल
की
हमको लगती तुम
साठ साल
की
बस भजन हवन
और पठन तेरा
हमको बोरिंग लगता !
हे सविता !
हम तुमसे कितना डरते
थे
पीछे से हिटलर
कहते थे
फिर भी तुम
ढक लेती
थी
तब हाँ दोनों
की खता !
हे सविता !
अब सच में
हुई साठ की तुम
बचपन के पढ़े
पाठ की तुम
अब मूर्ति दिखाई देती
हो
हैं नमन तुम्हे
सविता !
हे सविता !
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