मेरे मन में खुशियाँ हैं
मेरे मन में दुःख भी हैं
खुशियों से खुश होता
दुःखों से पर रोता
है सभी चाहते खुशियां
है कौन चाहता पीड़ा
पर दोनों का बंधन है
खुशियों के संग ही पीड़ा।
दुःखों के बिन खुशियों का
खुशियों के बिन दुःखों का
कुछ अर्थ नहीं होता है
कुछ व्यर्थ नहीं होता है।
अँधेरे बिना उजाले
भी लगते हमको काले
अँधेरे का कालापन
ही चमकाता उजलापन।
गर्मी में ही सर्दी की
सर्दी में ही गर्मी की
कीमत तय होती है
दोनों की जय होती है।
हर रात सुबह को लाती
हर सुबह ख़त्म हो जाती
फिर रात नयी इक आती
जो नयी भोर बन जाती।
जैसे सुख जीवन में
ईश्वर का इक प्रसाद
वैसे ही बस आवश्यक
इस जीवन में अवसाद ।
मेरे मन में दुःख भी हैं
खुशियों से खुश होता
दुःखों से पर रोता
है सभी चाहते खुशियां
है कौन चाहता पीड़ा
पर दोनों का बंधन है
खुशियों के संग ही पीड़ा।
दुःखों के बिन खुशियों का
खुशियों के बिन दुःखों का
कुछ अर्थ नहीं होता है
कुछ व्यर्थ नहीं होता है।
अँधेरे बिना उजाले
भी लगते हमको काले
अँधेरे का कालापन
ही चमकाता उजलापन।
गर्मी में ही सर्दी की
सर्दी में ही गर्मी की
कीमत तय होती है
दोनों की जय होती है।
हर रात सुबह को लाती
हर सुबह ख़त्म हो जाती
फिर रात नयी इक आती
जो नयी भोर बन जाती।
जैसे सुख जीवन में
ईश्वर का इक प्रसाद
वैसे ही बस आवश्यक
इस जीवन में अवसाद ।
अच्छी कविता।
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