जब आम आदमी का बड़ा नाम हो गया
अब आम आदमी भी फिर आम हो गया
बातें बड़ी बड़ी जो करते थे जोर से
बातों के हल्केपन से बदनाम हो गया
भाईचारे के गाने जो गाते थे मंच पर
भाई बेचारे को रो रो जुकाम हो गया
जो लोकपाल के नारे से दिल्ली पर छा गए
उनका ही लोकपाल अब गुमनाम हो गया
जो बात करते थे हमेशा प्रजातंत्र की
वो आज तानाशाह सरे आम हो गया
सत्ता का लोभ है नहीं, नारे लगाते थे
सत्ता मिली तो बस बेलगाम हो गया