Mahendra Arya

Mahendra Arya
The Poet

सोमवार, 17 मार्च 2014

बुरा न मानो होली है !

बुरा न मानो  होली है !
दस सालों की कई कहानी , अब तो पूरी हो ली है 
बुरा न मानो  होली है !

 कांग्रेस का नाम बदल कर "कौन कर ऐश " बना है अब 
देश की  दौलत लूट लूट कर नेता 'कैश' बना है सब
कांग्रेस ने अपनी सूरत ज्यों कालिख से धो ली है 
बुरा न मानो  होली है !
 
 मनमोहन थे अर्थशास्त्री , जग में नाम कमाया तब 
हो गए क्यों वो अनर्थशास्त्री , देश का नाम डुबाया अब 
ख़ामोशी की  चादर ओढ़े , सूरत कर ली भोली है 
बुरा न मानो  होली है !
 
राहुल थे एक दिवा स्वप्न से , कांग्रेस नित तकती थी 
सपने चकनाचूर हुए अब , बेमतलब की  भक्ति थी
ऊपर से जैसी हो बातें , अंदर से सब पोली है 
 बुरा न मानो  होली है !





 
अन्ना थे जन जन के हीरो , कैसी लाये आंधी थे 
लोग  कहा करते थे - भैया, दूजे बापू गांधी थे 
ममता के चक्कर में पड़  कर जग में बने ठिठोली है 
बुरा न मानो  होली है !




और केजरीवाल अचानक, उठे क्रांति की  ज्वाला से
सत्ता की  चाहत में बिखरे , जैसे टूटी माला से 
वोट मांगते फिरते निशदिन ये फैलाये झोली है 

बुरा न मानो  होली है !
 








 

आरोपों के दलदल से जो, निकला बनकर नायक सा 
अब दल दल हैं कोरस गाते , वो जब गाता गायक सा 
अगले युग  का नेता मोदी , भारत की ये बोली है
बुरा न मानो  होली है !













 

 


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